विश्व फोटोग्राफी दिवस : अपने बीते दिनों की कुछ यादगार पलों को फोटो में कैद करना हर किसी का शौक होता है, कुछ लोगो के लिए यह केवल अपने बीते दिनों को कैद करने का जरिया होगा लेकिन कुछ लोगो के लिए फोटो लेना एक शौक होगा और कुछ के लिए कमाई का एक जरिया।
फोटो लेना आजकल में जन्मा कोई शौक नहीं है बल्कि यह हमारे पूर्वजों के ज़माने से चलता आ रहा है लेकिन उस समय फोटो खिचवाने और खीचने के तरीके आज के मुकाबले बहुत अलग थे क्या आपने कभी सोचा है की आज जिस तरह से हम अपनी यादों को एक कैमरे की मदद से आसानी से कैद कर सकते है, पहले लोग इसके लिए क्या किया करते थे।
उस समय जिन लोगो के पास पैसे थे उनके पास कैमरा हुआ करता था लेकिन जिन लोगो के पास कैमरा नहीं था उन्हें फोटो खिचवाने के लिए मीलों का सफ़र तय भी करना पड़ता था, और घंटो के इंतजार के बाद उनकी फोटो खिंच पाती थी।
फोटोग्राफी शब्द कैसे बना
ग्रीक भाषा के शब्द फोटोज जिसका मतलब है (प्रकाश) और ग्राफीन जिसका मतलब है (खीचनें) को मिलाकर फोटोग्राफी शब्द की उत्पति हुई है, 1839 में सर जॉन एफ डब्ल्यू हश्रेल ने सबसे पहले फोटोग्राफी शब्द का उपयोग किया था।
विश्व फोटोग्राफी दिवस का इतिहास
दुनिया की सबसे पहली फोटोग्राफी तकनीक का विकास 9 जनवरी 1839 में हुआ, दो वैज्ञानिक जोसेफ नाइसफोर और लुइस डॉगेर ने मिलकर दुनिया की पहली फोटोग्राफी तकनीक डॉगोरोटाइप का विकास किया, डॉगोरोटाइप तकनीक में जिन कैमरों का उपयोग किया जाता था, यह कैमरे बहुत भारी हुआ करते थे, डॉगोरोटाइप तकनीक से एक फोटो लेने में लगभग 2 घंटे का समय लगता था।
फ्रांसीसी वैज्ञानिक आर्गो ने 7 जनवरी 1839 को फ्रेंच एकेडमी ऑफ साइंसेज के लिए डॉगोरोटाइप की एक रिपोर्ट लिखी, जिसे 19 अगस्त 1839 को फ़्रांस सरकार ने खरीद लिया और आम लोगो के लिए फ्री घोषणा की गयी, और तब से लेकर आज तक 19 अगस्त को विश्व फोटोग्राफी दिवस मनाया जाने लगा।
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दुनिया की सबसे पहली फोटो
1826 में दुनिया की सबसे पहली फोटो खिची गयी थी, जो की फ़्रांस में खिंची गयी थी, इसे जोसेफ नाइसफोर और लुइस डॉगेर ने खिंचा था, जो की डॉगोरोटाइप तकनीक के ही अविष्कारक थे।
जोसेफ नाइसफोर को एक फोटो खीचनी थी लेकिन उन्हें समझ नहीं आ रहा था की फोटो किसकी खिची जाये इसलिए उन्होंने खिड़की के बहार के नज़ारे की एक फोटो खीच दी, और यही वह फोटो थी जो दुनिया की सबसे पहली फोटो बन गयी, और इसे नाम दिया गया, ‘व्यू फ्रॉम द विंडो एट ली ग्रास’।
इस फोटो को खीचने में 8 घंटे का समय लग गया था, और इसके लिए 6 साल पहले से तैयारी की गयी थी, इस दौरान वह बहुत बार असफल भी हुए लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी, फोटो लेने के लिए पहले टिन और कॉपर घातु पर फोटो उतारने की कोशिश की थी लेकिन वह इसमें असफल हुए, इसके बाद इन्होने डामर की प्लेट पर प्रयोग किया गया।

दुनिया की पहली सेल्फी
जिसे आज हम लोग सेल्फी के नाम से जानते है बिल्कुल ऐंसी ही फोटो 1839 को अमेरिकन फोटोग्राफर रॉबर्ट कॉर्नेलियस ने ली, और वह सेल्फी लेने वाले दुनिया के पहले इंसान थे, लेकिन उस समय इसे सेल्फी के नाम से नहीं जाना जाता था।
दुनिया की पहली कलर फोटो
जेम्स क्लर्क मैक्सवेल जो के स्कॉट्लैंड के वैज्ञानिक थे ने दुनिया की पहली कलर फोटो को दुनिया के सामने पेश किया, जो की 17 मई 1861 खिंची गयी थी, कलर फोटोग्राफी की इस तकनीक में थॉमस सटन का भी विशेष भूमिका भी रही है, क्योंकि इन्होने एसएलआर कैमरा, और 1959 में पैनोरोमिक कैम, वाइड एंगल की भी खोज की
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विश्व फोटोग्राफी दिवस का महत्त्व
फोटोग्राफी के क्षेत्र में लोगो को जागरूक करने के लिए विश्व फोटोग्राफी दिवस को मनाये जाने का बहुत अधिक महत्त्व है, हमारे जीवन में फोटो विडियो आदि का कितना बड़ा योगदान है यह हम अच्छी तरह से जानते है, क्यूंकि एक फोटो 1000 शब्दों के बराबर की जानकारी बयाँ कर सकती है
फोटोग्राफ़र के द्वारा खिंची गयी कुछ फोटो…….
1993 में दक्षिणी अफ्रीका के फोटोग्राफर केविन कार्टर के द्वारा ली गयी इस फोटो में गिद्ध भूख से मर रहे इस बचे के इन्तजार में है, और इस फोटो ने फोटोग्राफर को इतना दुखी किया की फोटो खीचने के 3 महीने बाद ही उन्होंने आत्महत्या कर ली थी
यह फोटो 2004 की सुनामी में अरको दत्ता के द्वारा ली गयी थी जिसमे सुनामी का दर्द साफ़ दिखाई देता है, इस फोटो को World Press Photo of the Year के लिए भी चुना गया था
विश्व फोटोग्राफी दिवस की थीम
- वर्ल्ड फोटोग्राफी डे 2021 की थीम : #WorldPhotographyDay साल 2021 में इस Hashtag के साथ लोगो को सोशल मीडिया अकाउंट पर अपनी खिंची गयी फोटो को अपलोड करने को कहा गया है
- वर्ल्ड फोटोग्राफी डे 2020 की थीम : पैन्डेमिक लॉकडाउन थ्रू द लेंस (Pandemic lockdown through the lens)
- वर्ल्ड फोटोग्राफी डे2019 की थीम : इतिहास को समर्पित (Dedicated to History)
- वर्ल्ड फोटोग्राफी डे 2018 की थीम : अच्छे बनो (Be Nice)
- वर्ल्ड फोटोग्राफी डे 2017 की थीम : बादलों को समझना (Understanding Clouds)