मातृ दिवस (Mother’s Day) – जो माँ अपने बच्चे के सुख के लिए अपना पूरा जीवन लगा देती है, उसी माँ के सम्मान के लिए भारत ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में मई के दूसरे रविवाार के दिन को मातृ दिवस (Mother’s Day) के रूप में मनाया जाता है. एक माँ अपने बच्चे को जितनी हो सके उतनी ख़ुशी देती है लेकिन खुद परेशानीयों का सामना करती है.

एक माँ के इतने त्याग के बाद भी बहुत से लोग अपनी माँ की कदर नहीं करते, और जब माँ को बुडापे में अपने पुत्र या पुत्री के जरूरत होती है तब उसकी सहायता के लिए कोई नहीं होता, और इसी तरह पहले माँ का जीवन बेटे के पालन पोषण से लेकर उसकी सुख सुविधा के लिए परेशानी में गुजरता है, और बाद में उम्र के साथ साथ खुद का पालन पोषण भी स्वयं करने की नौबत आ जाती है.
एक पुत्र जब अपने पालन पोषण में माँ के दिए योगदान की कदर नहीं करता, और अपना फर्ज पूरा नहीं करता तो वह अपने जीवन में कभी सफल नहीं हो सकता क्योंकि जिस माँ ने उसे पाल पोष कर बड़ा किया यदि वह उसी माँ की सेवा नहीं करता है, तो फिर वह व्यक्ति किसी के काम को क्या, वह किसी काम के लायक ही नहीं रह जाता है.
एक बेटे को अपने जीवन में यह बात याद रखनी चाहिए की जितना प्यार, परवाह, उसके माँ-पिता उसकी करते है उतनी परवाह उसकी पूरी दुनिया में कोई नहीं कर सकता है.
मातृ दिवस (Mother’s Day) के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य
- पहला मातृ दिवस (Mother’s Day) सन 1914 में पहली बार मनाया गया था.
- मातृ दिवस की शुरुआत अमेरिका से हुई थी.
- ग्रीस के लोग अपने देवताओं की माँ स्य्बेले की पूजा किया करते है और कुछ तथ्यों के अनुसार इसे ही मातृ दिवस की शुरुआत होने की वजह माना जाता रहा है.
- 8 मई, 1914 को अमेरिकी राष्ट्रपति वूडरो विलसन ने मातृ दिवस को अधिकारी तौर पर मानाने, इस दिन को छुट्टी और इस दिवस को मई के दुसरे रविवार को मनाये जाने की घोषणा की थी.
- माँ को सम्मान देने के लिए इस दिवस को पुरे विश्व में मनाया जाता है.
- मातृ दिवस पर एक पुत्र अपनी माँ को जीवन भर उसकी सेवा करने और उसे हमेशा खुश रखने का वचन देता है तो एक माँ के लिए इससे बड़ा कोई दूसरा उपहार नहीं हो सकता है.
- माँ अपने बेटे के लिए पुरे जीवन भर जो काम करती है वह उसका एहसान बेटा किसी भी किमत पर नहीं चूका सकता है.